सर्वोच्च

सर्वोच्च

मित्रता शुद्धतम प्रेम है ,
ये प्रेम का सर्वोच्च रूप है,
जहाँ कुछ भी नहीं माँगा जाता ,
कोई शर्त नहीं होती जहां बस,
देने में आनंद आता है |
OSHO

हमारा ह्रदय

हमारा ह्रदय

हम जितना ज्यादा बाहर जायें और दूसरों का भला करें, हमारा ह्रदय उतना ही शुद्ध होगा, और परमात्मा उसमे बसेंगे.